

श्री बालाजी मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है| यहाँ लगभग हजारों वर्ष पूर्व बालाजी अपने बाल रूप में स्वयं प्रकट हुए थे| यह श्री मेहंदीपुर बालाजी के नाम से प्रसिद्ध एक बहुत ही सिद्ध और चमत्कारिक तीर्थस्थल है।
माना जाता है कि इस मंदिर में आकर श्री बालाजी महाराज के दर्शन मात्र से विभिन्न मानसिक विकार, शारीरिक विकार, एवं सभी प्रकार के कष्ट स्वयं ठीक हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप, पूरे साल ही दुनिया भर से भक्त व श्रद्धालु बहुत बड़ी संख्या में यहाँ आते रहते हैं।
श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम में श्री बालाजी महाराज जी, श्री भैरव जी और श्री प्रेतराज सरकार जी के साथ साक्षात बाल रूप श्री मारुति नंदन विराजमान हैं।
श्री मेहंदीपुर बालाजी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि समाज सेवा का एक केंद्र भी है| यहाँ शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, सामाजिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण, तकनीकी आदि क्षेत्रों में कई सेवा कार्य व सहायता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं| साथ ही गरीब कल्याण, महिला एवं बाल विकास और कुपोषित बच्चों के लिए भी कई कार्य किये जा रहे हैं और इस प्रकार के कार्यों को सहायता भी प्रदान की जा रही है|

श्री बालाजी का यह विश्व प्रसिद्द मंदिर लगभग सैकड़ों वर्ष से घाटा मेहंदीपुर, दौसा राजस्थान में स्थित है | प्राचीनकाल में यहाँ घना जंगल हुआ करता था जिसमें अनेक जंगली जानवर रहा करते थे| यह विश्व प्रसिद्द मंदिर घाटा मेहंदीपुर भारत के राजस्थान राज्य के दौसा और गंगापुर(पुर्व में करौली) जिलों के बीच स्थित है| यह एक बहुत ही चमत्कारिक तीर्थस्थल है जो कि दौ पहाड़ों के बीच स्थित है एवं दुनिया के उन कुछ रहस्यमयी मंदिरों में शामिल है जिनकी कृपा और लीलाओं को देखकर विज्ञान/वैज्ञानिक और शोधकर्ता भी अचंभित हैं| काफी अध्ययन व शोध करने के बाद भी वे इसके रहस्य को नहीं जान पाए हैं|
श्री बालाजी की कृपा से आज यह स्थान श्री मेहंदीपुर बालाजी और घाटा मेहंदीपुर बालाजी धाम के नाम से विश्व प्रसिद्द है और दैवीय शक्तियों से ऊर्जित एक सिद्ध स्थान है|

श्री बालाजी महाराज लगभग सैकड़ों वर्ष पूर्व अपने बाल रूप में दो छोटी पहाड़ियों के बीच एक दैवीय लीला से स्वयं प्रकट हुए थे | श्री बालाजी महाराज जी के प्राकट्य के बाद से ही महंत परिवार की लगभग पिछली 15 पीढ़ियों ने उनकी समर्पित सेवा की, इस प्रकार परम्परा को निरंतर कायम रखा है | श्री बालाजी के प्राकट्य की एतिहासिक पृष्ठभूमि भी महंत जी के पूर्वजों से ही जुड़ी हुई है |

श्री बालाजी महाराज जी के प्राकट्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि यह है कि श्री महंत जी के पूर्वज गोसाई जी महाराज को एक अलौकिक स्वप्न दिखाई दिया और स्वप्न की अवस्था में वह उठ कर चल दिए| उन्हें यह पता नहीं था कि वह कहाँ जा रहे हैं। स्वप्न की अवस्था में ही उन्होंने एक अनोखी लीला देखी कि एक ऒर से हजारों दीपक जलते चले आ रहे हैं। उसी तरफ से हाथी और घोड़ो की आवाजें भी आ रही हैं। एक बहुत बड़ी सेना चली आ रही है | उस सेना ने श्री बालाजी महाराज जी, श्री भैरव बाबा, श्री प्रेतराज सरकार को प्रणाम किया और जिस रास्ते से वह सेना आयी उसी रास्ते से लौट गई।
गोसाई जी महाराज वहीं पर खड़े-खड़े यह सब देखते रहे। उन्हें कुछ डर सा लगा और फिर वह अपने गाँव की तरफ चल दिये| घर जाकर उन्होंने प्रयास किया कि उन्हें नींद आ जाए परन्तु उन्हे नींद नहीं आई और बार-बार उसी स्वप्न के बारे में विचार आने लगे। फिर जैसे ही उन्हें नींद आई, उन्हें वही तीन मूर्तियाँ और एक विशाल मंदिर दिखाई दिया| उनके कानों में वही आवाज आने लगी जो उन्होंने इसके पहले स्वप्न में सुनी थी और उन्हें ऐसा आभास हुआ की कोई उनसे कह रहा है कि बेटा उठो और मेरे सेवा कार्य व मेरी पूजा का भार ग्रहण करो। मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा और कलयुग में लोक कल्याण के लिए अपनी शक्तियों से कृपा करूँगा। ऐसा कौन कह रहा था रात में उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया।
ऐसा कई बार होने पर भी गोसाई जी महाराज ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया तब अंत में श्री बालाजी महाराज ने स्वयं दर्शन दिए और गोसाई जी महाराज से कहा कि बेटा आप मेरी नियमित सेवा-पूजा करो|
प्रभु के साक्षात दर्शन पाकर गोसाई जी महाराज अगले ही दिन स्वप्न में दिखे स्थान व मूर्तियों के पास पहुँच गए, जो कि दो पहाड़ियों के बीच स्थित था| वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि चारों ओर से घंटे-घड़ियाल और नगाड़ों की आवाज आ रही है लेकिन उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया| इसके बाद गोसाई जी महाराज नीचे आए, उन्होंने आस-पास के लोगों को इकट्ठा किया और अपने सपने के बारे में बताया| गोसाई जी की बात सुनकर लोगों ने भोग-प्रसाद की व्यवस्था करा दी|
इससे प्रसन्न होकर श्री बालाजी महाराज ने उन लोगों को कई चमत्कार दिखाए। श्री बालाजी महाराज का विग्रह जहाँ प्रकट हुआ था, लोगों ने वहाँ जाकर उन्हें देखकर मन में विचार किया कि क्या वह कोई कला है। तब लोगों के ऐसा विचार करने से स्वयं प्रकट हुआ श्री बालाजी महाराज का विग्रह अदृश्य हो गया| तब लोगों को समझ आया की यह तो साक्षात् बालाजी महाराज का ही रूप है, फिर लोगों ने श्रद्धा पूर्वक श्री बालाजी महाराज से क्षमा याचना की तब वह विग्रह फिर से लोगों को दिखाई देने लगी।
इसके बाद गोसाई जी नियमित रूप से श्री बालाजी महाराज की पूजा-अर्चना, सेवा करने लगे और श्री बालाजी महाराज श्रद्धालुओं व भक्तों पर अपनी कृपा बरसाने लगे| इस समस्त घटनाक्रम और साक्षात श्री बालाजी महाराज के दर्शन से स्वयं को धन्य हुआ पाकर गोसाई जी ने प्रार्थना की कि “हे श्री बालाजी महाराज, मेरी कर्मबद्ध इच्छा है कि आगे आपकी पूजा-अर्चना, भोग-प्रसाद, और सेवा का सम्पूर्ण दायित्व मेरे ही वंश, मेरी आगे आने वाली पीढ़ियाँ ही निरंतर करें। गोसाई जी महाराज और उनके वंश पर श्री बालाजी की कृपा हुई और गोसाई जी के बाद से निरंतर उनका परिवार पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ श्री बालाजी महाराज की सतत सेवा में लगा हुआ है।
मंदिर पहुँचने का मार्ग

श्री मेहंदीपुर बालाजी मंदिर तक पहुँचने के लिए मार्ग:
सड़क मार्ग
जयपुर से लगभग 103 किलोमीटर, दिल्ली से 265 किलोमीटर, और आगरा से 221 किलोमीटर की दूरी पर है।
ट्रेन मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन बांदीकुई जंक्शन है, जो मंदिर से लगभग 40 किलोमीटर दूर है।
हवाई जहाज मार्ग
जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से 115 किलोमीटर दूर स्थित है।